वार्षिक प्रशासनिक प्रतिवेदन वर्ष 2002-03
राजस्थान विक्रय कर अधिकरण की स्थापना 1585 से संविधान की धारा 323बी के प्रावधानों के अनुसरण में विक्रय कर से संबंधित लम्बित वादों का शीध्रतम निपटारा करने में एकरूपता रखने के उद्देश्य से की गई थी। आशा की गई थी कि गतिशील विक्रय कर विधान की सुसंगत
व्याख्या की जा सके। इस अधिकरण के गठन से पूर्व विक्रयᅠ कर से संबंधित मामलों में द्बितीय अपील के प्रावधान नहीं थे और उपायुक्त (अपील्स) विक्रयᅠ कर विभाग के विरूद्ध केवल मात्र निगरानी ही राजस्व मण्डल में हो सकती थी। अब 1101995 से इस अधिकरण का नाम परिवर्तन कर राजस्थान
कर बोर्ड कर दिया गया। अब यह राजस्थान कर बोर्ड से ज्ञांपित है।
बोर्ड में अध्यक्ष एवं चार सदस्य कार्यरत हैं। अध्यक्ष भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं होगा; बोर्ड के सदस्यों को राजस्व मण्डल के सदस्यों का स्तर प्रदान किया गया है। उ्रहें वही मासिक वेतन एवं भत्ते देय है जो राजस्व मण्डल, राजस्थान के
सदस्य का पद धारण करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अनुज्ञांत हैं।
कर बोर्ड का वर्तमान गठन निम्न प्रकार से हैः
क्र.सं. |
नाम |
पद |
अवधि |
1. |
डा. सुधीर वर्मा |
अध्यक्ष |
28.11.2001 से 11.8.2002 |
2. |
श्रीमती रुकमणी हल्दिया |
अध्यक्ष |
12.8.2002 से निरंतर |
3. |
श्री बद्री प्रसाद |
सदस्य |
1.4.1999 से निरंतर |
4. |
श्री के.एस. चौधरी |
सदस्य |
15.1.2001 से निरंतर |
5. |
श्री ए.के. ओझा |
सदस्य |
15.12.2001 से निरंतर |
6. |
श्री एस.एन. थानवी |
सदस्य |
23.1.2002 से निरंतर |
7. |
श्री आर.एन. शर्मा |
रजिस्ट्रार |
20.8.2001 से निरंतर |
कार्यालय को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु रजिस्ट्रार का पद सृजित है। इस पद पर दिनांक 28.1.1994 से राजस्थान वाणिज्यिक कर सेवा की चयनीत वेतन श्रृंखला के अधिकारी कार्यरत् हैं।
सहायक रजिस्ट्रार का पद राजस्थान प्रशासनिक सेवा संवर्ग का है इस पर दिनांक 11.7.1994 से राजस्थान प्रशासनिक सेवा की कनिष्ठ वेतन श्रृंखला के अधिकारी कार्यरत हैं।
बोर्ड में प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था संचालन हेतु निम्न प्रकार से पदों का सृजन किया गया हैः
क्र.सं. |
पद |
स्वीकृत |
कार्यरत |
रिक्त |
1. |
अध्यक्ष |
1 |
1 |
- |
2. |
सदस्य |
4 |
4 |
- |
3. |
रजिस्ट्रार |
1 |
1 |
- |
4. |
सहायक रजिस्ट्रार |
1 |
|
1 |
5. |
सहायक लेखाधिकारी |
1 |
1 |
- |
6. |
निजी सचिव |
1 |
1 |
- |
7. |
वरिष्ठ निजी सहायक |
1 |
1 |
- |
8. |
निजी सहायक |
1 |
1 |
- |
9. |
शीध्र लिपिक |
1 |
- |
1 |
10. |
कनिष्ठ लेखाकार |
1 |
1 |
- |
11. |
पुस्तकालयाध्यक्ष |
1 |
1 |
- |
12. |
कार्यालय अधीक्षक |
1 |
1 |
- |
13. |
कार्यालय सहायक |
2 |
1 |
1 |
14. |
वरिष्ठ लिपिक |
6 |
6 |
- |
15. |
कनिष्ठ लिपिक |
12 |
12 |
- |
16. |
वाहन चालक |
4 |
4 |
- |
17. |
जमादार |
1 |
1 |
- |
18. |
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी |
13 |
13 |
- |
19. |
प्रोसेस सरवर |
4 |
4 |
- |
वर्ष 2002-2003 तक के बजट आवंटन एवं व्यय की स्थिति निम्न प्रकार से हैः
क्र.सं. |
मद |
बजट आवंटन |
दिसम्बर 2002 तक व्य |
1. |
संवेतन |
70,00,000 |
53,67,380 |
2. |
यात्रा भत्ता |
2,00,000 |
1,70,185 |
3. |
चिकित्सा व्यय |
1,50,000 |
1,03,380 |
4. |
वाहन संधारण |
2,50,000 |
2,38,664 |
5. |
कार्यालय व्यय |
13,00,000 |
9,94,033 |
6. |
लेखन सामग्री |
70,000 |
55,385 |
7. |
मुद्रण |
40,000 |
40,000 |
8. |
पुस्तकालय |
1,00,000 |
97,150 |
9. |
वाहन क्रय |
- |
- |
10. |
लद्घु निर्माण |
15,000 |
- |
11. |
कम्प्यूटर |
- |
- |
कर बोर्ड में एक पुस्तकालय है, जिसमें माननीय बैंचों एवं अभिभाषकों को लॉ बुक्स उपलब्ध कराई जाती हैं। वर्तमान में पुस्तकालय में लगभीग 5850 पुस्तकें उपलब्ध है।
वर्ष 20002001, 2002 तीन वर्षों में दायर एवं निस्तारित वादों की स्थिति निम्न प्रकार हैः
क्र.सं. |
वाद |
2000 |
2001 |
2002 |
1. |
बकाया वाद |
4300 |
5035 |
5310 |
2. |
दायर वाद |
1393 |
1489 |
1848 |
3. |
निस्तारित वाद |
658 |
1214 |
4369 |
4. |
शेष वाद |
5035 |
5310 |
2789 |
कर बोर्ड में विचाराधीन वादों की सुनवाई एकलपीठ एवं खण्डपीठ द्बारा किए जाने का प्रावधान है; जिन वादों में विवादास्पद राशि पांच लाख रूपयें तक है उनकी सुनवाई एकल पीठ द्बारा जिन वादों में यह राशि पांच लाख से अधिक है उन वादों की सुनवाई खण्डपीठ
द्बारा किए जाने का प्रावधान है। कतिपय परिस्थितियों में एस.बी./डी.बी. द्बारा कोई ब्रिदु वृहद् खण्डपीठ को रेफर किया जाता है।
वर्ष 2002-2003 तक एस.बी./डी.बी. द्बारा सुने जाने वाले विचाराधीन वादों की शेष संख्या निम्न प्रकार हैः
(दिसम्बर 2002 तक शेष)
- एस.बी. - 2400
- डी.बी. - 389
अजमेर मुख्यालय के अलावा राजस्थान कर बोर्ड की एकलपीठ एवं खण्डपीठ कैम्प जयपुर में योजना भवन में लगाई जाती है; जिसमें मुख्यतः अलवर, बांरा, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, चूरू, दौसा, धौलपुर, हनुमानगढ, जयपुर, झालावाड, झुंझुनू, कोटा, सवाई माधोपुर, सीकर,
श्रीगंगानगर एवं टोंक जिले के वादों की सुनवाई की जाती है।
बोर्ड में विचाराधीन वादों को यथाशीध्र निस्तारित करने हेतु मुख्य रूप से निम्न कार्यवाही की गई हैः
- जिन वादों में बैंच द्बारा राशि की वसूली के संबंध में स्थगन आदेश दिए हुए हैं; ऐसे वादों की सुनवाई प्राथमिकता पर की जाकर निस्तारण किया गया।
- पुराने वादों को सुनवाई हेतु प्राथमिकता के आधार पर नियत किया जा रहा है।
- बोर्ड में विचाराधीन परिशोधन प्रार्थना पत्रों की सुनवाई बैंच के समक्ष प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।
- बैंचों द्बारा जो महत्वपूर्ण निर्णय सुनाए जाते हैं उन निर्णयों को ज्रिहें रिपोर्टटिंग योग्य मार्क किया जाता है। उनमें विवादास्पद ब्रिदु एवं उस पर दिए गये निर्णयों से बोर्ड की दूसरी बैंचों को भी उनकी जानकारी कराई जाती है। ताकि निर्णयों में एकरूपता कायम रह
सकें।